मेरी भी एक मुमताज़ थी...



साठ और सत्तर के दशक में जवान हो रहे लड़कों के दिल, परदे पर मुमताज़ को देखते ही दुगनी-तिगनी रफ़्तार से धड़कने लगते थे। हमारे एक दोस्त बताते हैं कि उन दिनों बॉयज हॉस्टल के सभी कमरों में अलगनी पर टँगे कपड़ों के नीचे मुमताज़ की फ़ोटो या पोस्टर ज़रूर चिपके रहते थे। 'मेरे सनम' में जब वो गाती थीं - "ये है रेशमी ज़ुल्फ़ों का अँधेरा न घबराइये,जहाँ तक महक है मेरे गेसुओं की चले आइये" - तो लड़के वाक़ई अपने आस-पास उन घुँघराली ज़ुल्फ़ों की ख़ुशबू महसूस करने लगते थे।

 

लड़कों के बीच मुमताज़ की लोकप्रियता का एक कारण और भी था कि ये लड़के दारा सिंह की फ़िल्में देखते हुए बड़े हुए थे। साठ के दशक में दारा सिंह की फ़िल्में धड़ाधड़ बन रही थीं और उनमें से अधिकांश की हीरोइन मुमताज़ थीं। ज़ाहिर है मुमताज़ लड़कों की पहली पसंद बन गयीं। इस दौरान उन्होंने कई और बी ग्रेड फिल्मों में भी काम किया लेकिन फिल्म 'प्यार किये जा' में महमूद ने उन्हें अपने वाह-वाह प्रोडक्शन की हीरोइन क्या चुना, वे हर निर्माता-निर्देशक की पहली पसंद बन गयीं। याद है, रिकॉर्ड प्लेयर पर उनका वो डांस -

ओ मेरी मैना, तू मान ले मेरा कहना,
अरे मुश्किल हो गया रहना तेरे बिना, अई अई यो, अई अई यो।
ओ मेरे मिट्ठू, तेरी मिट्ठी मिट्ठी बोली,
मैं सुनकर तेरी होली ज़ालमा, अई अई यो, अई अई यो।

 

हिंदी फ़िल्मों में एक से बढ़कर एक प्रशिक्षित नृत्यांगनाओं ने काम किया है - सितारा देवी, वैजयंती माला, त्रावणकोर बहनों के नाम से मशहूर पद्मिनी और रागिनी, कुमकुम, वहीदा रहमान और हेमा मालिनी लेकिन जितनी तालियाँ मुमताज़ लूट ले गयीं, उतनी इनमें से किसी एक के हिस्से में नहीं आयीं। मुमताज़ जब "दूसरी लड़की" के किरदार अदा किया करती थीं, तब भी उनके नृत्य लाजवाब होते थे। उस दौर के उनके दो गीत मुझे बेहद पसंद हैं। एक तो है धर्मेंद्र-शर्मिला अभिनीत 'मेरे हमदम मेरे दोस्त' का वह क़व्वालीनुमा गाना -

अल्लाह ये अदा कैसी है इन हसीनों में,
रूठें पल में न मानें महीनों में।
 
मानना पड़ेगा कि इसमें काफी कुछ कमाल गीत-संगीत का भी है मगर वल्लाह क्या ज़बरदस्त नाची हैं मुम्मू। दूसरा गाना हर लिहाज़ से इस गाने से बिलकुल अलग है। उसमें ठेठ हिंदुस्तानी रंग था, और इसमें कैबरे वाला अंदाज़ है। यह फिल्म थी बलदेव राज चोपड़ा की 'आदमी और इंसान' और इसमें मुमताज़ के साथ धर्मेंद्र के अलावा उनके पसंदीदा को-स्टार फ़ीरोज़ ख़ान भी थे। याद आया आपको?

ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी आज भी इत्तिफ़ाक़ है।

 

फिर आयी 'दो रास्ते' और बिंदिया चमकाती, चूड़ियाँ खनकाती मुमताज़ सबकी नींद उड़ा ले गयीं। आराधना देखने के बाद से हम राजेश खन्ना के पंखे तो बन ही चुके थे, अब मुम्मू के भी डाई हार्ड फ़ैन हो गये। बहुत से शादी-ब्याह, मुंडन-जनेऊ समारोहों में हमने भी लहक-लहक कर "बिंदिया चमकेगी, चूड़ी खनकेगी" और "कोई शहरी बाबू दिल लहरी बाबू" गाया और सहेलियों को नचाया। "जय जय शिव शंकर" और "दुनिया में लोगों को" हमारे क्लास एंथम थे। पार्टियों के लिये कुछ अलग टाइप के गाने तय थे, जैसे - ऐ दुश्मने जाँ, मोतियों की लड़ी हूँ मैं, दो घूँट मुझे भी पिला दे शराबी। इस तरह ब्याह-बारात से लेकर प्राइवेट पार्टी तक मुमताज़ का ही राज था।

कुछ तो ख़ास रहा ही होगा उस लड़की में जिससे ख़ुद उसके अपने घर वालों को बहुत उम्मीदें नहीं थीं। जिसने दारा सिंह और महमूद के साथ शुरुआत की लेकिन बहुत जल्द बी ग्रेड फिल्मों का चक्रव्यूह तोड़कर दिलीप कुमार और देव आनंद के साथ फ़िल्में कीं। जितेन्द्र और राजेश खन्ना के साथ अनगिनत हिट फ़िल्में दीं। शम्मी कपूर और शशि कपूर के अलावा रणधीर कपूर के साथ भी काम किया। और उभरते सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने के बाद फिल्मों को अलविदा कहा। वैसे मुझे फ़ीरोज़ ख़ान के साथ उनकी जोड़ी सबसे अच्छी लगती थी। इसलिए चलते-चलते ये गीत और सुनवाना चाहती हूँ।

हमारे सिवा तुम्हारे और कितने दीवाने हैं,
तुम्हारे और कितने ठिकाने हैं,
कसम से किसी को नहीं मैं जानती,
और किसी को नहीं पहचानती,
अरे छोडो-छोडो ये तो बहाने हैं।

 

Comments

  1. क्‍या बात है। मुमताज पर कमाल का लेख।

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  2. मुमताज और फरीदा जलाल मे मैं अक्सर कंफ्यूज हो जाती हू

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  3. Sarita Lakhotia :
    Chulbuli si ek Alhad Adaakaara,,,,jisne stunt filmon se le kar dheer gambheer filmon me bhi abhinay kar apna lohaa manvaya......Really Tumhari Pasand !! Meri Pasand !! Bahuton ki Pasand !!

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  4. Poonam Lagah :
    हम भी मुमताज़ के बड़े वाले पंखे हैं .. खासकर उनके 2 गाने गोरे रंग पे तू इतना और जै जै शिवशंकर तो ऑल टाइम फेवरट ..
    मैं कल ही मुमताज़ का गीत देख रही थी , मैं तेरे इश्क़ में मर न जाऊं कहीं .... और सोच रही थी कि खूबसूरती , डांस का नाम तो है ही मुमताज़ लेकिन एक्टिंग में भी एक भी पल ऐसा नही आता जब वो कहीं ज़रा सा भी छूटी हों , किसी भी सीन में एक पल के लिए भी नही छोड़ती एक्टिंग ... पल पल कमाल से भरी हुई .... और ज़्यादातर गानों में जो उसने ऑरेंज कलर की वही मुमताज़ स्टाइल वाली साड़ी पहनी है ... oh my god ....

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  5. Sanjay Patel :
    किशोर से युवा होते मेरे मन के कालखण्ड की अभिनेत्री हैं मुमताज़।

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  6. Ashwini Tyagi :
    बहुत ख़ूब ..दिलचस्प !👍💐

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